बाणभट्ट की आत्मकथाः भाषा एवं ऐतिहासिकता
बाणभट्ट की आत्मकथाः भाषिक प्रयोग की नव्यता प्राचीन भारतीय समाज एवं संस्कृति को आधुनिक युगानुरूप व्याख्ययित करने वालों में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने हिन्दी साहित्य को बहुविध समृद्ध किया। निबन्ध, उपन्यास इतिहास लेखन, समीक्षात्मक लेखन के साथ-साथ हिन्दी भाषा को भी आपने समृद्ध किया। द्विवेदी जी भारतीय संस्कृति की विषाल परम्परा को अपने साहित्य के माध्यम से वर्तमान संन्दर्भों में प्रस्तुत कर भारतीय समाज को तेजोदीप्त करने का कार्य किया। भारतीय संस्कार, संस्कृति और सभ्यता की उदाक्तता सदियों से अपनी उदार रही है। इसी उदारता और ग्रहणषीलता के परिणाम स्वरूप भारतीय संस्कृति विविधताधर्मी होती गयी है। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपनी साहित्य की विषय वस्तु के रूप में भारत की विषाल सांस्कृतिक परम्परा और इतिहास को अपनाया। आपके निबन्धों और उपन्यासों में भारतीयता जीवन्त हो उठी है। आप के उपन्यास आधुनिक युग में जीवन की व्यापकता को अभिव्यक्त करने की दृष्टि से हिन्दी उपन्यास साहित्य में विषेष महत्वपूर्ण हैं। सामाजिक, ऐतिहासिक, मनोवैज्ञानिक और आ