अभिनव प्रेम का आख्यान:तीसरी कसम उर्फ मरे गये गुल्फाम

हिन्दी कथा साहित्य के विकास में फणीश्वर नाथ रेणु का विशेष योगदान है । प्रेमचन्द और जैनेन्द्र के बाद हिन्दी कथा साहित्य को नया आयाम देने वालों में रेणु का नाम अग्रणी है । रेणु हिन्दी साहित्य के ऐसे कथाकारों में से हैं , जिनकी किस्सागोई का कोई जबाब नहीं है । कहानी कहने और संवेदन को जीवंत और सरस बनाने की कला में आप माहिर हैं । जीवन के समस्त राग-रंग को समग्रता में जीने और उसे अपने लेखन द्वारा जीवंत रूप में प्रस्तुत करने के कारण रेणु का कथा साहित्य में अत्यंत लोकप्रिय हैं । रेणु हिन्दी साहित्य के उन कथाकारों में से हैं ,जिनके कथा साहित्य में लोक और लोक जीवन के प्रति गहरी संवेदना देखने को मिलती है । यद्यपि रेणु को आंचलिक कथाकार के रूप में ज्यादा मान्यता मिली है, लेकिन उनके साहित्य को व्यापक स्तर पर स्वीकृति मिली है । ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन के सूक्ष्म रंगों को रेणु ने बचपन से ही अपने भीतर संचित करना आरम्भ कर दिया था, जिसकी रंग-विरंगी छटाएं उनके कथा साहित्य में यत्र-तत्र बिखरी हुईं हैं । किसी भी लेखक के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण होता है कि वह उस समाज को कितनी सजगता से जानता और समझता है , जिसम...