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विधि पाठ्यक्रम में विधिक भाषा हिन्दी की आवश्यकता और महत्व

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विधि के लिये भाषा का महत्वः- विधि भाषा के माध्यम से निर्मित किया जाता है और तर्क इससे नियंत्रित होता है। अधिवक्ताओं का कार्य शब्दों के साथ जुड़ा है। शब्द अधिवक्ताओं के शिल्प की कच्ची सामग्री है। शब्द विचारों के उपकरण ही नही बल्कि वे उन्हें नियंत्रित भी करते है। अधिवक्ता भाषा संरचना की योजना अनुसार ही सोचता है। विधि के वाहक के क्षेत्रों में शब्दों का प्रयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है। शब्द अपने आप में उद्देंश्य नही है बल्कि वे उद्देश्यों की पूर्ति के साधन है। एक अधिवक्ता की भाषा और व्यवहार ही उसे अच्छा अधिवक्ता बनाती है। अच्छा अधिवक्ता वही होता है जिसकी भाषा सरल, सहज, प्रभावशाली और स्पष्ट हो। शब्द के अर्थ विधिक वास्तविकता को ज्यादा निश्चित अन्तर्वस्तु प्रदान करते है। भाषा के माध्यम से विधि अपने क्रियात्मक संसाधनों द्वारा सामाजिक नियंत्रण स्थापित करता है। उदाहरण के लिये ‘अधिकार’, ‘कर्तव्य’ और ‘अपकृत्य’ जैसे शब्द सामाजिक नियंत्रण के वाहक है। भाषा के प्रयोग का दायरा अतिविस्तृत है। विधि उसका केवल एक विशेषीकृत अंश है। विधि में भाषा दो उद्देश्यों की पूर्ति करती है। प्रथम