Posts

Showing posts with the label पाठ्य सामग्री

लोकप्रिय बनाम गंभीर साहित्य

Image
आजकल लोकप्रिय कवि और रचनाकारों की बहुत बात हो रही है। और उन्हें विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में ध्यान देने को लेकर तरह-तरह के वाद विवाद नित्य प्रति सामने आ रहे हैं। आज के समय में विवाद करना एक संस्कृति बन गई है कहीं भी कोई निर्णय लिया जाए उसके विरोध में कई लोग खड़े हो जाते हैं और अपने अनुभव और संचित ज्ञान के सहारे उसे गए  गलत ठहराने लगते हैं। ऐसा कितना तर्कसंगत है हमें यह सोचना होगा की पाठ्यक्रमों के बाहर इतना कुछ लिखा और पढ़ा जा रहा है। पाठ्यक्रम में शामिल किए गए पाठ पढ़कर एक विद्यार्थी  कुछ सीखता है  और उसे व्यवहारिक जीवन में उपयोग कर यह जान पाता है कि कैसे हम साहित्य सर्जन करें और लोकप्रिय हो जाएं । यह तो हमें समझना होगा की आज की शिक्षा लोगों को रोजगार के लिए दी जा रही है, या शिक्षा का यह उद्देश्य है कि लोग उस शिक्षा के माध्यम से अपनी रोजी-रोटी चला सकें । ऐसी में यदि ऐसी में यही विद्यार्थी लोकप्रिय साहित्य पढ़कर कुछ ऐसा लिखने की ओर उन्मुख होता है कि वह भी ऐसे साहित्य का सृजन करें जो लोकप्रिय हो और उसे अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए साहित्य सृजन के अलावा और कोई कार्य न कर