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Showing posts from April, 2023

असाध्य वीणा :अज्ञेय

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अज्ञेय हिन्दी प्रयोगवादी काव्य परम्परा के प्रवर्तक कवि के रूप में सर्व-स्वीकृत हैं । 1943 में आपने तार सप्तक का प्रकाशन कर हिन्दी साहित्य में एक नए तरह की संवेदना और शिल्प का विकास किया । प्रयोगवाद और प्रयोग के सन्दर्भ में अज्ञेय ने स्पष्टीकरण भी दिया लेकिन यह नाम चल पड़ा और चल पड़ने के कारण प्रयोगवाद काव्य परम्परा आज भी अपने प्रयोगों के लिए जानी एवं मानी जाती है ।अज्ञेय सिर्फ कवि या संपादक ही नहीं वरन एक बहुआयामी व्यक्ति हैं । आप कवि, आलोचक, उपन्यासकार ,संपादक होने के साथ-साथ एक क्रांतिकारी भी हैं । आपने स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय सहभागिता भी की और देश को पराधीनता से मुक्ति के निरंतर संघर्षरत रहे । मुक्ति आपके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है । मुक्ति आपके व्यक्तित्व और कृतित्व का अभिन्न हिस्सा है ,कविता को आपने नए प्रतिमानों से समृद्ध करने के लिए जो उद्यम किया वह विशिष्ट है । इसी मुक्ति का स्वर आपकी रचनाओं में देखने को बराबर देखने को मिलता है । हरी घास पर क्षण भर कविता में उन्मुक्त और स्व से आच्छादित भाव को प्रस्तुत किया है । व्यक्ति की स्वतंत्रता की आकांक्षा अच्छी कुंठा रहित इकाई ,मैं व

लोक रंग के कुशल चितरे :रेणु

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 हिन्दी साहित्य के इतिहास में अंचल की पहचान और अंचल के चित्र को अंकित करने की दृष्टि से रेणु का अपना विशिष्ट स्थान है । रेणु ने आंचलिक उपन्यासों के साथ साथ अपनी कहानियों के माध्यम से भी अंचल के चित्र को बखूबी कथा के फलक पर उभारने का कार्य किया है। रेणु की आंचालिकता को अब तक ज्यादातर उनके उपन्यास मैला आंचल से ही जोड़कर देखा और समझा गया है। मैला आंचल के साथ ही उनकी कहानियों में भी आंचल अपने समग्र विशेषता और विवशता के साथ मौजूद है । रसप्रिया, लाल पान की बेगम, ठेस, आदिम रात की महक , तीसरी कसम उर्फ मारे गए गुलफाम, नैना जोगिनिया और ठुमरी कहानी संग्रह में रेणु ने आंचलिक जीवन को इस रूप में प्रस्तुत किया है कि कहानियों को पढ़ते हुए अंचल का चित्र ही हमारे समक्ष उभर आता है । रेणु के कथा साहित्य में लोक जीवन का व्यापक और यथार्थपरक रूप देखने को मिलता है। आज के समय में लोक जीवन से बहुत सी चीजें और परमपराएं लुप्त होती जा रहीं हैं,लेकिन यदि हमें इन लुप्त होती चीजों और परमपराओं को संजोना और समझना है तो रेणु की कहानियों से बेहतर परिचायक और कुछ नहीं हो सकता । रेणु मूलतः कथाकार हैं ,लेकिन अपनी कहानियों से

निराला के काव्य की छायावादी विशेषताएं

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    सूर्यकान्त त्रिपाठी "निराला" ' निराला ' सार्वभौम प्रतिभा के शुभ्र पुरुष थे। उनसे हिन्दी कविता को एक दिशा मिली जो द्विवेदीयुगीन इतिवृत्तात्मकता , उपदेश-प्रवणता और नीरसता के कंकड़-पत्थरों के कूट-पीसकर बनाई गई थी। वे स्वयं इस राह पर चले और अपने काव्य-सृजन को अर्थ-माधुर्य , वेदना और अनुराग से भरते चले गये। यही वजह है, कि उनका काव्य एक निर्जीव संकेत मात्र नहीं है। उसमें रंग और गंध है , आसक्ति और आनन्द के झरनों का संगीत भी है ,तो अनासक्ति और विषाद का मर्मान्तक स्वर भी है। उसे पढ़ते समय आनन्द के अमृत-विन्दुओं का स्पर्श होता है, और मन का हर कोना अवसाद व वेदना की धनी काली परतों से घिरता भी जाता है। इतना ही क्यों , उनके कृतित्व में "नयनों के लाल गुलाबी डोरे" हैं , " जुही की कली" की स्निग्ध , भावोपम प्रेमिलता भी है ,तो विप्लव के बादलों का गर्जन-तर्जन भी है। "जागो फिर एक बार" का उत्तेजक आसव भी है और जिन्दगी की जड़ों में समाते-जाते खट्टे-मीठे करुण-कोमल और वेदनासिक्त अनुभवों का निचोड़ भी है। वे यदि एक ओर "किसलय वसना नव-वय लतिका" के सौं

आभासी कक्षा(Virtual Class)

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 आभासी कक्षा  (Virtual Class)   वर्तमान समय में हमारा समाज एवं हम एक नये तरह की दुनिया में जीवन जीने के लिए विवश है। सन् 2019  तक हमने यह सोचा भी नहीं था कि हम इतनी जल्दी एक आभासी जगत में प्रवेश कर जायेंगे। कोविड 19 ने दुनिया मंे भीषण तबाही मचायी और हमें घरों में रहने के लिए विवश कर दिया। इसका सर्वाधिक प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था एवं शिक्षा व्यवस्था पर पड़ा। इस प्रभाव के परिणाम स्वरूप हमारी शिक्षा में आनलाइन माध्यम में शिक्षण आरम्भ हुआ। आनलाइन शिक्षण एवं आभासी कक्षाओं में भारतीय शिक्षण व्यवस्था में एक ऐसा नवाचार है जिसे प्र्रचलन में आने में अभी समय था लेकिन कोविड़ 19 के प्रभाव के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में एक नयी क्रान्ति देखने को मिलती है। आभासी क्लासेज के माध्यम से शिक्षण काम का प्रसार जिस तेजी से हो रहा है, उससे हिन्दी का विकास तो हो रहा है, इसके अलावा हिन्दी के क्षेत्र में लिखने पढ़ने वालों को ज्यादा अवसर प्राप्त हो रहा है। इन अवसरों के साथ-साथ वर्चुअल दुनिया के माध्यम से हम कमाई कर सकते हैं यू-ट्यूब, जूम, गूगलमीट और माइक्रोसाफ्ट टीम्स, फेसबुक, इस्टाग्राम आदि अनेकों आभासी पटल ऐसे है

ब्लाग लेखन

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 ब्लाग- पॉडकास्ट ब्लागः- आधुनिक समय में संचार क्रान्ति के साथ-साथ लेखन जगत के क्षेत्र में भी नित नयापन देखने को मिलता है। इसी नयेपन के साथ-साथ हम अपने विचारों को आसानी से लोगों तक पहुँचाने में समर्थ हो रहे हैं। ब्लाग लेखन भी इसी तरह एक वर्वचुअल प्लेटफार्म हैं, जिसके माध्यम से हम न केवल अपने विचारों को लोगों तक सम्प्रेषित कर सकने में सक्षम होगें वरन् उसके माध्यम से ख्याति अर्जित करते हुए अर्थाजन भी कर सकेंगें। ब्लाग लेखन संचार क्रान्ति का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो वर्तमान समय में सृजनात्मकता को एक नये रूप में प्रस्तुत कर रहा है। ब्लागिंग अपने आरम्भिक समय में अंग्रेजी माध्यम में ही उपलब्ध थी, लेकिन एक भाषा के रूप में हिन्दी का विस्तार जीवन के सभी क्षेत्रों में होने के साथ ही हिन्दी भाषा का प्रयोग लगभग सभी संचार के माध्यमों मे आसानी से किया जा रहा है। हिन्दी भाषा तकनीकी रूप से इतनी सक्षम हो चुकी है कि यह कहीं भी बोली लिखी, पढ़ी एवं समझी जा सकती है।  यूनिकोड़, मंगल, गूगल इंडिक के आ जाने से कम्प्यूटर, लैपटाप, टैबलेट और मोबाइल में भी हिन्दी आसानी से लिखी जा रही है। इसी कारण अब हिन्दी में