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ठेस: एक कलाकार के आत्म सम्मान और बोध का आख्यान

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  रेणु की लेखनी से अनेकानेक चरित्रों की सर्जना हुई है । इन्हीं चरित्रों में अत्यंत विशिष्ट चरित्र है - सिरचन का । सिरचन के हाथों में हुनर है और उसके चरित्र में गाम्आत्म्मन भी है , जो एक कलाकार में होना चाहिए । रेणु ठेस कहानी के माध्यम से एक कलाकार के चरित्र को उसकी समस्त सीमाओं और सामर्थ्य के साथ कथा फलक पर उकेरा है ,एक बेहतरीन कलाकार ,एक आत्म सम्मानी व्यक्ति और एक संवेदनशील एवं उदार ह्रदय सिरचरन के पास है । यही उसे विशिष्ट बनाती है ,रेणु एक बहुत ही खास विशेषता है कि वह चरित्र की सर्जना बड़ी शिद्दत से करते हैं ।अपनी कलम से रेणु ने एक चित्रकार की तरह सिरचन के व्यक्तित्व को ठेस कहानी में मूर्त कर दिया है ।फणीश्वर नाथ रेणु की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वो रूप ,गंध, हाव-भाव की सूक्ष्म से सूक्ष्मत्तर भंगिमा को इस तरह उकेरते हैं कि पूरा दृश्य ही हमारे समक्ष प्रस्तुत हो उठता है ।प्रस्तुत है ठेस कहानी आप भी पढें सिरचरन को....... खेती-बारी के समय, गांव के किसान सिरचन की गिनती नहीं करते. लोग उसको बेकार ही नहीं, ‘बेगार’ समझते हैं. इसलिए, खेत-खलिहान की मजदूरी के लिए कोई नहीं बुलाने जाता है सिरचन क