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प्रेमचंद का संवेदन : पूस की रात

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  आधुनिक  काल हिन्दी साहित्य के इतिहास में अत्यंन्त महत्वपूर्ण है। भाव , भाषा और विधागत अनेकानेक प्रयोग इस युग की अन्यतम विशेषता है। अबतक हिन्दी में अधिकांश साहित्य पद्यात्मक रूप में ही लिखा जाता था। आधुनिक काल में गद्य एवं पद्य दोनों में साहित्य सृजन आरम्भ हो गया। हिन्दी में पत्रकारिता के आरम्भ से साहित्य की विविध विधाओं में लेखन और उसका प्रसार होने लगा। कहानी , निबन्ध , नाटक और उपन्यास लेखन आधुनिक काल की महत्वपूर्ण उपलब्धियॉ हैं। प्रेमचन्द ने अपने कथा साहित्य के माध्यम से आमजन के जीवन को आमजन की भाषा में साहित्यिक फलक पर उकेरने का कार्य किया। इस दृष्टि से प्रेमचन्द का कथा साहित्य बेजोड़ है। प्रेमचन्द के कथा साहित्य में समाज में व्याप्त दमन और उत्पीड़न का यथार्थ चित्रण हुआ है। उपन्यासों में उन समस्याओं और मान्यताओं का चित्र अंकित हुआ है , जो मध्यवर्ग , जमींदार , पूँजीपति , किसान , मजदूर , अछूत और समाज के बहिष्कृत व्यक्तियों के जीवन को संचलित करती हैं। अतः प्रेमचन्द का कथा साहित्य समाज का यथार्थ चित्र होने के साथ ही साथ   समाज का सृजन भी है। जीवन और समाज की अभिव्यक्ति बड़ी सफलता के