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भाषा संवेदना और आदर्श प्रेम का आख्यान : उसने कहा था

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  आदर्श प्रेमातिरेक की कथा के रूप में उसने कहा था हिन्दी साहित्य की बहुचर्चित और बहुपठित कहानी है । भाषा का संवेदनात्मक ढंग से प्रयोग करके एक बहुत ही आकर्षक विषय वस्तु को गुलेरी जी प्रस्तुत किया है । इस दृष्टि से यह कहानी हिन्दी की सार्वकालिक कहानियों में सुमार है । आदर्श प्रेम और त्याग की कथा को प्रस्तुत करते हुए चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी ने गहन अनुभूति को बहुत ही मुखर भाषा में प्रस्तुत किया है । भाषा और भाव का अद्भूत संयोग इस कहानी में हमें देखने को मिलता है । 1915 में प्रकाशित यह कहानी वास्तव में हिन्दी की उन आरंभिक कहानियों में से है जिनका व्यापक प्रभाव आज भी हिन्दी साहित्य में देखने को मिलता है । हिन्दी साहित्य के इतिहास में आधुनिक काल का विशेष महत्व है। भाषा और संवेदना के स्तर पर इस युग में व्यापक स्तर पर नवीनता देखने को मिलती है। संवेदनात्मक स्तर इस युग के रचनाकारों ने व्यापक समाज के हित को साहित्य के केन्द्र में स्थापित करने की दिशा में विशेष प्रयास किया , लोगों के बीच में स्वाधीन चेतना जाग्रत करने की दिशा में इस युग के  प्रयासों  का  परिणाम हमारे स्वजागरण के...