विधिक सूक्तियाँ (LEGAL MAXIM)
विधिक सूक्तियाँ (LEGAL MAXIM) महत्वपूर्ण विधिक भाषा की सूक्तियों की व्याख्या 1. Actus non facit reum, nisimens sitrea [latin] केवल कार्य किसी को अपराधी नहीं बनाता यदि उसका मन का भी अपराधिकरण न हो [The act itself does not constitute guilt unless done with a guilty intent] कॉमन लॉ के अन्तर्गत अपराध गठित करने के लिए आपराधिक मस्तिष्क का होना आवश्यक माना गया है। यह प्रसिद्ध सूत्र है कि "केवल कार्य व्यक्ति को आपराधी नहीं बनाता, यदि उसका मन भी अपराधी न हो।" इस सूत्र का प्रारम्भ अति प्राचीन है। लार्ड कोक इसके जन्मदाता माने जाते हैं। परन्तु उन्होंने इसे कहाँ से लिया इस बारे में मतैक्य नहीं है। प्रारम्भिक रूप में इस सूत्र का अनुमति अर्थ लिया गया कि विधि के दोष के लिए नैतिक दोष भी आवश्यक है। कारण यह माना गया कि विधि और सदाचार में विरोध की सर्वदा संभावना बनी रहती है। यह इसलिए भी माना गया कि विधि में अनुशासित आवश्यक रूप में शारीरिक है जैसे सम्पत्ति या स्वतंत्रता का अपहरण या अन्ततः प्राणदण्ड। 2. Audi Alteram Partem ( दूसरे पक्ष को सुनो) "दूसरे पक्ष को सुनों" यह सूक्ति न्यायिक क्