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कोसी का घटवार: प्रेम और पीड़ा का संत्रास सुनील नायक, शोधार्थी, काजी नजरूल विश्वविद्यालय आसनसोल, पश्चिम बंगाल

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  परिवेश का अकेलापन व्यक्ति के अकेलेपन को और अधिक पीड़ादायक बना देता है। इसी परिप्रेक्ष्य में हिंदी कहानी में ‘ कोसी का घटवार ‘ बहुत चर्चित है। हैदराबाद से ‘ कल्पना ‘ पत्रिका के जनवरी 1957 ई० के अंक में शेखर जोशी की कहानी ‘ कोसी का घटवार ‘ प्रकाशित हुई। इसी से इन्हें विशेष ख्याति मिली। शेखर जोशी की कहानी ‘ कोसी का घटवार ’ एक ऐसी कहानी है जिसके अंदर प्रेम की व्यथा से लेकर समाज के परिदृश्य के साथ - साथ जीवन के परिचायक को दिखाया गया है। शेखर जोशी की इस बेहद खूबसूरत कहानी में कहीं पर भी ‘ प्रेम ‘ शब्द नहीं आया है , कहीं पर भी दोनों पात्रों ने कभी आंखें नहीं मिलाई हैं। दोनों ने एक दूसरे को छुआ भी नहीं है। न ही कोई वादा किया है और न किसी किस्म की कसमें ही खायी हैं। इसके बावजूद यह प्रेम की अद्भुत कहानी है। इस कहानी में प्रेम भी है और पीड़ा भी। लेखक स्वयं कहता है कि यह कहानी पहाड़ के कहानीकार की मनोवृत्ति का भी चित्रण करती है। वास्तव में ह