अहिंसा-बोध का काव्यान्तर : नन्दकिशोर आचार्य (मन एक मैली कमीज है : भवानी प्रसाद मिश्र - से साभार )
अहिंसा-बोध का काव्यान्तर (चित्र गूगल से साभार ) भवानी भाई से यह मेरी पहली मुलाकात थी। उन्नीस सौ तिहत्तर की गर्मियों की बात है। जयप्रकाश नारायण ने एवरीमेस वीकली' का प्रकाशन शुरू किया था। सम्पादक थे स हो वात्स्यायन 'अज्ञेय' में अप्रैल में 'एवरीमेंस' में चला आया था और वात्स्यायन जी के साथ ही रह रहा था। एक शाम वात्स्यायन जी का मन भवानी भाई से मिलने का हुआ और हम लोग उन के घर पहुंच गये। 'चिति' के सिलसिले में उन से पत्राचार हुआ था और मेरे पत्र के जवाब में उन का उत्साहवर्धक पत्र मिला था और उसी अन्तर्देशीय में उन्हों की हस्तलिपि में दो कविताएँ भी मिली थीं जो 'चिति' के दूसरे अंक में प्रकाशित हुई थीं। मैं तो इसी से मगन था, लेकिन पहली ही मुलाकात में उन के सादे व्यक्तित्व और निश्छल स्नेह ने मुझे अभिभूत कर दिया। यह प्रभाव ( फिर गहराता ही गया। 'एवरीमेंस वोकली' में प्रमुखतः साहित्य संस्कृति से सम्बन्धित पृष्ठों का दायित्व मेरा था। अंग्रेजी अख़बार सामान्यतः हिन्दी की उपेक्षा हो करते हैं, इसलिए वात्स्यायन जो चाहते थे कि 'एवरीमेंस' को इस दिशा में सचेष्ट