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तुलसीदास कृत रामचरितमानस और लोक नायक की वैश्विक प्रासंगिकता : एक विवेचन

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  भारतीय जीवन में आध्यात्मिकता एवं भक्ति की धारा अनादिकाल से प्रवाहित होती रही है । भारत में भक्ति का समारम्भ कब और कहाँ से हुआ यह पता लगा पाना अत्यंत कठिन कार्य है । हमारे आदिम जीवन से लेकर आज तक की जीवन पद्धति का अवलोकन करें तो यह स्पष्ट ही देखने को मिलता है कि प्राकृतिक अवयवों के पूजन से जो परम्परा आरम्भ हुई समयानुसार परिवर्तित होते हुए समाज की भाव-भंगिमा के अनुसार परिमार्जित होती रही है । अग्नि, वायु, सूर्य, जल एवं अन्य प्राकृतिक अवयवों के प्रति श्रद्धा का भाव हमारी चेतना का हिस्सा रही है । भक्ति और आध्यात्मिकता वह प्राणतत्व है , जो भारतीय जीवन को आलोकित करता रहा है । भक्ति और प्रतिमा पूजन की प्राचीनता को रेखांकित करते हुए राष्ट्र कवि एवं प्रसिद्ध चिन्तक रामधारी सिंह दिनकर जी ने अपनी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय ’ में लिखा है कि – “ प्रतिमा-पूजन के निशान मोहनजोदड़ो में मिले हैं , इससे यह अनुमान होता है कि भक्ति भारत का सनातन जन-धर्म थी और आर्यों के पहले से ही वह इस देश में प्रचलित थी । आर्यों के आगमन के बाद आर्य तो हवन- कर्म द्वारा ही अपने देवताओं को प्रसन्न करते रहे, किन...

मीरा की भक्ति: दर्शन एवं समर्पण :डॉ. अंगदकुमार सिंह (असिस्टेण्ट प्रोफेसर: हिन्दी जवाहरलाल नेहरू पी.जी. कॉलेज, बाँसगाँव गोरखपुर ,उ.प्र. )

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रतन    सिंह   की पुत्री मीरा, नृप   भोजराज की पत्नी  थी। जो   अमर  हुई  विष  पीकर, भक्तिन गिरिधर नटवर की थी। सम्पूर्ण भूमण्डल में भारत एक ऐसा विशिष्ट देश है जो सदियों से अपनी संस्कृति और सभ्यता के नाते जगत् विख्यात है। भारत में राम, कृष्ण, बुद्ध आदि ने जन्म लेकर जहाँ धर्म की स्थापना की वहीं तुलसी, सूर, मीरा आदि कवियों ने इनको अपने अन्तस् में समाहित कर दूसरों के लिए आदर्श रूप में प्रस्तुत किया। मोक्ष और शान्ति की राह को भक्त-कवियों ने सरल और सुगम बनाकर लोगों के सामने प्रस्तुत किया ताकि आमजन का उद्धार इसके माध्यम से आसानी से हो सके। इन भक्तों और कवियों ने भजन और स्तुति की रचना कर जनमानस को भगवान के करीब लाकर खड़ा कर दिया। ऐसे ही सन्तों और महात्माओं में एक नाम मीरा का भी आता है। मीरा रतनसिंह राठौर की पुत्री, दूदाजी की पौत्री, जोधपुर के सृजनकर्त्ता जोधाजी राव की प्रपौत्री, चित्तौड़ के राजघराने महाराणा सांगा की कुलबधू और महाराणा भोजराज की पत्नी तथा समाज द्वारा अन्त्यज सन्त रविदास की शिष्या थीं। मीरा राजस्थान के राजघराने में पली-बढ़...