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Tragedy (Aristotle)त्रासदी (अरस्तू)

  Tragedy (Aristotle)   त्रासदी ( अरस्तू ) - पश्चात्य साहित्य चिन्तन काव्य के अनुकरण का सिद्धांत अपने आरंभिक समय से ही मान्य रहा है ,पाश्चात्य साहित्य में प्लेटो और अरस्तू दोनों ने अनुकरण पर विचार करते हुए काव्य को अनुकरण माना है । अरस्तू के अनुसार कविता एक अनुकरणात्मक कला है । अरस्तू ने काव्य पर विचार करते हुए लिखा है कि- काव्य में दो प्रकार के कार्य-व्यापर का अनुकरण होता है, सदाचारियों के अच्छे कार्य-कलापों का तथा दुराचारियों के दुष्कृत्यों का । सदाचारियों के कार्य व्यापारों के अनुकरण से महाकाव्य का जन्म हुआ और दुराचारियों के कार्य-व्यापारों के अनुकरण से व्यंग्य काव्य का । गंभीर स्वाभाव के काव्यकार सदाचारियों के कार्यों का अनुकरण करने में तथा देवी-देवताओं के स्तोत्रों के निर्माण में संलग्न हुए । तुच्छ कोटि के रचनाकारों ने व्यंग्य रचनाओं की । इन्हीं दो प्रकार की काव्य-रचानाओं के रूपांतर और विकास का प्रतिफल है – त्रासदी (Tragedy)   और कामादी ( Comedy) । अरस्तू ने महाकाव्य और त्रासदी में त्रासदी को महाकाव्य से श्रेष्ठ माना है, क्योंकि त्रासदी अपनी सघनता ,संक्षिप्तता,सुसंबन

खोई हुई दिशाएँ: महानगरीय जीवन की त्रासदी ; निधि शर्मा शोधार्थी (हिन्दी विभाग )काजी नजरुल विश्वविद्यालय, आसनसोल

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  (चित्र साभार -गूगल ) हिंदी कहानी के विकास में कथाकार कमलेश्वर का बहुत बड़ा योगदान है। कमलेश्वर दो कहानी आंदोलनों के अगुआ रहे हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात नई कहानी आंदोलन और सन् 70 के बाद समानांतर कहानी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कहानीकारों में कमलेश्वर अग्रणी हैं। उन्होंने नई कहानी के संदर्भ में नई ‘ कहानी की भूमिका ’ नामक पुस्तक भी लिखी जो ‘ नई कहानी ’ को स्वतंत्रता पूर्व की कहानियों से अलग करती है। स्वतंत्रता के पश्चात देश की स्थितियां बहुत बदल गई थीं। मोहभंग की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। कमलेश्वर की कहानियां एक लंबे संघर्ष के बाद मिली स्वतंत्रता के बाद एक नए युग , एक नई जागरण की आशा , देश विभाजन की त्रासदी , नेहरू के नेतृत्व में देश के विकास का स्वप्न , गांव से नगरों की ओर पलायन , देश की बदलती हुई परिस्थितियों और गांव तथा नगर की चेतना में होने वाले परिवर्तन का एक जीवंत दस्तावेज हैं। कमलेश्वर ने इन स्थितियों और देश की दुरावस्था का