रिक्त स्थानों को भरें
बचपन में प्रायः परीक्षाओं रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये जैसे प्रश्न आते थे और हम अक्सर उस रिक्त स्थान को भर लेते थे, लेकिन अब वही रिक्त स्थान खाली ही रह जा रहे हैं, और हम इस खालीपन से भरते जा रहे हैं। अपना शहर छूटा,संगी - साथी छूटे,प्रेम छूटा, माँ-बाप छूटे और बहुत कुछ छूटा । और हम खाली होते चले गये। अब तो खालीपन ही भर गया है। जीवन में कभी-कभी हम ऐसे मोड़ पर पहुंच जाते हैं इस जहां से लौटना मुश्किल कि नहीं नामुमकिन होता है ऐसे समय का खालीपन हम किसी भी हाल में भर सकने में सक्षम नहीं होती हैं और यह खालीपन धीरे हमारे जीवन में इस कदर भर जाता है किउसमें किसी और की गुंजाइश बचती ही नहीं, यह हमारे मानव जीवन की सबसे बड़ी विडंबना है कि हम हमेशा से अपने मनपसंद जगह को अपने मनपसंद लोगों को और अपनी मनपसंद आबोहवा को छोड़कर नई मंजिल तलाशते हैं .और उस मंजिल में जो जीत सकता भर आती है वह बड़ी ही पीड़ादायक होती है जिसे हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं किसी के समक्ष अभिव्यक्त नहीं कर सकते।