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अवहट्ठ

अवहट्ठ अपभ्रंश एवं आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के बीच संक्रा न्ति काल की भाषा है। आ चार्य हेम चन्द्र ने जब अपभ्रंश का व्याकरण लिखा। उस सम य अपभ्रंश साहित्यिक भा षा थी । बोलचाल की भाषा साहित्यिक भाषा से छिटककर भिन्न भिन्न क्षेत्रीच बोलियों का स् व रू प ग्रहण करने लगी थी। हे मचन्द्र ने का व्यानु शासन '   में ‘ ग्राम्य – अप भ्र श ' का उल्लेख किया है। जा हिर है कि यह ग्राम्य – अप भ्रंश परिनि ष्ठित अपभ्रंष से विकसित आ म बोलचाल की भा षा थी । हेमचन्द के देशी नाम माला ' में भी ऐ से अनेक देशी शब्दों का संग्रह है , ओ प्रा कृत ही नहीं , बल्कि , अपभ्रंश साहि त्य में भी अप्रयुक्त हैं। स्प ष्ट है कि इन श ब्दों  का प्रयोग आम बोलचाल मे ही होता रहा होगा। डॉ. बाबू राम सक्सेना ने की र्ति लता की भूमिका में ' देसिल ब अ ना ---- -- अ व्हट्ठा ' को आम बोलचाल की भाषा मानते हुए अवहट्ठ और देशी को एक माना है।          १००० ई . को मोटे तौर पर अप भ्रंश का अ व सान काल और आधुनिक भारतीय आ र्यभाषा ओं का आरम्भ काल माना जाता है , किन्तु ' संदेश वाहक ', ' की र्ति लता '   एवं ' व र्