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Tragedy (Aristotle)त्रासदी (अरस्तू)

  Tragedy (Aristotle)   त्रासदी ( अरस्तू ) - पश्चात्य साहित्य चिन्तन काव्य के अनुकरण का सिद्धांत अपने आरंभिक समय से ही मान्य रहा है ,पाश्चात्य साहित्य में प्लेटो और अरस्तू दोनों ने अनुकरण पर विचार करते हुए काव्य को अनुकरण माना है । अरस्तू के अनुसार कविता एक अनुकरणात्मक कला है । अरस्तू ने काव्य पर विचार करते हुए लिखा है कि- काव्य में दो प्रकार के कार्य-व्यापर का अनुकरण होता है, सदाचारियों के अच्छे कार्य-कलापों का तथा दुराचारियों के दुष्कृत्यों का । सदाचारियों के कार्य व्यापारों के अनुकरण से महाकाव्य का जन्म हुआ और दुराचारियों के कार्य-व्यापारों के अनुकरण से व्यंग्य काव्य का । गंभीर स्वाभाव के काव्यकार सदाचारियों के कार्यों का अनुकरण करने में तथा देवी-देवताओं के स्तोत्रों के निर्माण में संलग्न हुए । तुच्छ कोटि के रचनाकारों ने व्यंग्य रचनाओं की । इन्हीं दो प्रकार की काव्य-रचानाओं के रूपांतर और विकास का प्रतिफल है – त्रासदी (Tragedy)   और कामादी ( Comedy) । अरस्तू ने महाकाव्य और त्रासदी में त्रासदी को महाकाव्य से श्रेष्ठ माना है, क्योंकि त्रासदी अपनी सघनता ,संक्षिप्तता,सुसंबन

वर्तनी विचार (शुद्ध -अशुद्ध )

  अशुद्ध    —    शुद्ध अतिथी – अतिथि अतिश्योक्ति – अतिशयोक्ति अमावश्या – अमावस्या अनुगृह – अनुग्रह अन्तर्ध्यान – अन्तर्धान अन्ताक्षरी – अन्त्याक्षरी अनूजा – अनुजा अन्धेरा – अँधेरा अनेकोँ – अनेक अनाधिकार – अनधिकार अधिशाषी – अधिशासी अन्तरगत – अन्तर्गत अलोकित – अलौकिक अगम – अगम्य अहार – आहार अजीविका – आजीविका अहिल्या – अहल्या अपरान्ह – अपराह्न अत्याधिक – अत्यधिक अभिशापित – अभिशप्त अंतेष्टि – अंत्येष्टि अकस्मात – अकस्मात् अर्थात – अर्थात् अनूपम – अनुपम अंतर्रात्मा – अंतरात्मा अन्विती – अन्विति अध्यावसाय – अध्यवसाय आभ्यंतर – अभ्यंतर अन्वीष्ट – अन्विष्ट आखर – अक्षर आवाहन – आह्वान आयू – आयु आदेस – आदेश अभ्यारण्य – अभयारण्य अनुग्रहीत – अनुगृहीत अहोरात्रि – अहोरात्र अक्षुण्य – अक्षुण्ण अनुसूया – अनुसूर्या अक्षोहिणी – अक्षौहिणी अँकुर – अंकुर आहूति – आहुति आधीन – अधीन आशिर्वाद – आशीर्वाद आद्र – आर्द्र आरोग – आरोग्य आक्रषक – आकर्षक इष्ठ – इष्ट इर्ष्या – ईर्ष्या इस्कूल – स्कूल इतिहासिक – ऐतिहासिक इक्षा – ईक्षा इप्सित – ईप्सित इकठ्ठा – इकट्ठा इन्