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वापसी : पारिवारिक मूल्यों का विघटन (डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव 'सागर' )

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उषा प्रियंवदा हिंदी कथा साहित्य की एक सशक्त लेखिका हैं। नई कहानी आंदोलन के उत्तरार्ध से उषा प्रियंवदा का कहानी के माध्यम से कथा साहित्य के क्षेत्र में पदार्पण हुआ। 1958 में ‘ कहानी ’ पत्रिका में प्रकाशित हुई ‘ जिंदगी और गुलाब का फूल ’, उन्हें साहित्य जगत में कहानी लेखिका के रूप में प्रस्तुत करता है। उसके बाद तमाम पत्रिकाओं में इनकी कहानियां प्रकाशित होने लगी। जनवरी 1960 में ‘ कल्पना ’ पत्रिका में ‘ दृष्टिकोण ’ कहानी प्रकाशित हुई। फिर अगस्त 1960 में ‘ खुले हुए दरवाज़े ’ का प्रकाशन हुआ और अगस्त 1960 में ही ‘ नई कहानियां ’ पत्रिका में इनकी प्रसिद्ध और दमदार कहानी ‘ वापसी ’ का प्रकाशन हुआ। नई कहानी के दौर में उषा जी ने अपनी गहरी पैठ बना ली , परंतु ऐसा नहीं कि उनकी पैठ नई कहानी में अचानक ही हो गई हो। वे स्वयं बताती हैं कि वे किस प्रकार पंत जी से प्रभावित थी - “ छात्रावास में बहुत सी शामें पंत जी के घर बीती हैं। अभी भी हिबिस्कस के गुलाबी फूल मेरे घ