बेबाक राय : प्रो. दिलीप से अमरेन्द्र श्रीवास्तव की बातचीत (2008-प्रस्थान से साभार )
दिलीप सिंह से अमरेन्द्र श्रीवास्त की बातचीत - प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक, साहित्यकार, उत्तर प्रदेश रत्न से सम्मानित, उच्च एवं शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, मद्रास) के कुलसचिव प्रो० दिलीप सिंह भाषा विज्ञान के अप्रतिम विद्वान है। हिन्दी हिन्दर क्षेत्र में हिन्दी की सामाजिक अस्मिता की अलख जगाने वाले विचारक है। इस समय जब हिन्दी में भा चिन्तन या तो सवयस्त हो गया है या स्तरहीन तब दिलीप सिंह की महत सक्रियता आश्वस्त करती है। उन्होंने भाषा का समाजशास्त्र अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान पर महत्त्वपूर्ण कार्य किया है, जो भाषा विज्ञान के क्षेत्र में दुर्लभ है। भाषा अनुरक्षण और भाषा विस्थापन हिन्दी की सामाजिक अस्मिता पर लगातार विन्तन मनन करने वाले प्रति आलोचक है। प्रस्थान की ओर से अमरेन्द्र श्रीवास्तव ने उनसे बातचीत की है- हिन्दी साहित्य को ही आपने अपने उच्च शिक्षा के निमित्त क्यों चुना ? इसमें सवाल चुनने का नहीं रुचि का है, रुचि मेरी सदैव से रही है। इसका कारण है कि स्कूली जीवन में ही हिन्दी की पुस्तकें, पत्रिकाएँ पढ़ने की रूचि । प्रेमचन्द का साहित्य, शरत चन्द का अनूदित साहित्य, चन्द्रकान्ता