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दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक भावों का आख्यान-शेखरः एक जीवनी

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शेखर :एक जीवनी की मनोवैज्ञानिकता- बाल मनोविज्ञान , युवावस्था की जिज्ञासा और मनोसंवेग, सामाजिक जीवन का अस्वीकार,  शिल्प विधान - पूर्व दीप्ति शैली, मनोविश्लेषण शैली, एकालाप ,आत्म कथात्मक शैली. भाषा - मनोविश्लेषण परक, काव्यात्मक, संवाद परक और गहन विचारात्मक भाषा. अज्ञेय शब्दों से कम उसकी भंगिमा और बनावट पर ज्यादा जोर देते हैं. हिन्दी कथा साहित्य के इतिहास में जीवन जगत के बाह्य यथार्थ के साथ-साथ मानव मन के अन्तर्जगत के आलोड़न-बिलोड़न को चित्रित करने की प्रक्रिया का आरम्भ जैनेन्द्र ने किया। सामाजिक घटनाओं और परिस्थितियों का प्रभाव हमारे जीवन के साथ ही हमारे मन पर भी पड़ता है। मानव मन की विविध स्थितियों का गहन पड़ताल और उसको साहित्यिक फलक पर उभारने की दृष्टि से हिन्दी के मनोवैज्ञानिक उपन्यासों का विशेष महत्व है। मनोवैज्ञानिक तत्व तो हिन्दी के अधिकांश उपन्यासों में मौजूद है; लेकिन समग्रता मे पात्रों के मन की गहन पड़ताल और उसे औपन्यासिक कथावस्तु के रूप में प्रस्तुत करने की परम्परा का निर्वहन मनोवैज्ञानिक उपन्यासों में देखने को मिलता है। मनुष्य के अन्तर्जगत को चित्रित करने की परम्परा का आरम्भ जैनेन्