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हिन्दी वर्णमाला

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1. स्वर 2.व्यंजन  3.संयुक्ताक्षर       भारतीय परम्परा में ध्वनि की अक्षर यानि नष्ट न होने वाली कहा गया है . ध्वनि का जन्म फेफड़ों से उठने वाली हवा ,मुह और नाक के अवयवों के मिले-जुले प्रयास से होता है .इस प्रक्रिया में श्वास नली से निकलती हुई हवा मुह के अलग-अलग हिस्सों से टकराकर अनेक प्रकार की ध्वनियों वाली हो जाती है . हिन्दी भाषा में इन ध्वनियों और उनकी उच्चारण प्रक्रिया का बहुत ही गहन विश्लेषण किया गया है . इस आधार पर हिन्दी ध्वनियों को तीन भागों में बता गया है - 1. स्वर 2.व्यंजन  3.संयुक्ताक्षर  1. स्वर - स्वर वे ध्वनियाँ हैं ,जिनका उच्चारण सहज और स्वतंत्र रूप से कर सकते हैं . स्वर मूल ध्वनियाँ हैं जो अन्य वर्णों के उच्चारण को संभव बनती हैं . भाषा विज्ञानं के अनुसार जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है और जो अन्य वर्णों के उच्चारण में सहायक हो, वे स्वर कहलाते हैं . अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि जिन वर्णों के उच्चारण में अन्य वर्णों की सहायता अपेक्षित नहीं होती, उन्हें स्वर कहा जाता है .      हिन्दी भाषा के स्वरों की एक खासियत है कि इनका उच्चारण में  किसी भाषा के लहजे या

हिन्दी व्याकरण

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 व्याकरण - व्याकरण वह विद्या है ,जिससे हमें ठीक-ठीक बोलने ,लिखने और सीखने का ज्ञान हो जाता है . भाषा को सीखने और समझने के साथ-साथ भाषा का सम्यक बोध व्याकरण के द्वारा ही संभव है. व्याकरण के अन्तर्गत वर्ण व्यवस्था से लेकर भाषा व्यवस्था पर विचार किया जाता है. भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि, वर्ण या अक्षर है. हिन्दी ध्वनियों को तीन भागों में बांटा गया है - 1. स्वर 2. व्यंजन 3. संयूक्ताक्षर  1. स्वर:- जिन ध्वनियों का उच्चारण स्वतंत्र रुप से होता है उन्हें स्वर कहते हैं. हिन्दी की स्वर ध्वनियाँ निम्नलिखित हैं- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:  English vowel- A, E, I, O, U (only five in English)  (चित्र -सभार,  Google)  इन्हीं से बारहखड़ी और मात्राओं का निर्माण होता है. जो हिन्दी  लिखने, बोलने और सीखने में बहुत सहायक होते हैं. स्वरों के निम्नलिखित भेद है ं - मूल स्वर  संयुक्त स्वर अयोग्वाह स्वर