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आधुनिक भारत में लैंगिक समानता और अम्बेडकर सामाजिक समानता का दर्शन: एक अनुशीलन

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  यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः । ( मनुस्मृति ३/५६ ।।)   कोई भी समाज तब तक उन्नति के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता जब उस समाज में स्त्रियों को उचित सम्मान नहीं मिलता इसका निर्वहन प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत में देखने को मिलता है । आधुनिक भारत में सामाजिक समानता को विधिक स्तर स्थापित करने की दिशा जिन्होंने अपना विशेष योगदान दिया उनमें भीमराव अम्बेडकर का योगदान विशिष्ट है । भारतीय संविधान और अपने विचारों के माध्यम से महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में अम्बेडकर जी ने जो कार्य किया उसका प्रभाव आज हमारे समाज में देखने को मिल रहा है । स्त्रियाँ ना सिर्फ समाज में अपना प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर रहीं हैं वरन भारत को विकसित बनाने के क्रम में भी अपना सहयोग दे रहीं हैं । और यह सब कुछ संभव हुआ है भारतीय संविधान के उन प्रावधानों द्वारा जिन्हें अम्बेडकर जी संविधान के निर्माण के समय लागू कराया था । समाज के सभी वर्गों की महिलाओं की समाज के सभी क्षेत्रों में भागीदारी देखने को मिल रही है । अम्बेडकर जी ने   समाज के वंचित वर्ग की महिलाओं को जागरूक करने के साथ-स...