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आदणीय सच्चिदानन्द जोशी जी के फेसबुक से सभार।

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आदत के गुलाम: रोज की तरह आज भी जब मैं अपनी साइकिल लेकर कॉलोनी की सड़क का चक्कर लगाने निकला तो मन में खयाल आया  कि क्यों न आज सीधी तरफ से चक्कर लगाया जाए। सीधा यानी क्लॉक वाइस। रोज मैं साइकिल से कॉलोनी की घुमाव दार सड़क के तीन चार चक्कर लगाता हूं। घर से निकलते ही बाईं तरफ को साइकिल मोड़ लेता हूं और फिर बाईं ओर से ही चक्कर लगा लेता हूं यानी एंटी क्लॉक वाइस।मेरा ये बताने का उद्देश्य कतई नहीं कि आप मुझे फिटनेस फ्रीक समझें। फिर भी अगर आप ऐसा समझ लेंगे तो मैं तो ऐसा चाहता ही हूं। आज जब साइकिल दाहिनी ओर मोडी और सड़क पर घूमने लगा तो ऐसा लगने लगा मानो किसी दूसरी जगह आ गया हूं। कॉलोनी वही , रास्ता वही , साइकिल भी वही आने जाने वाले भी ज्यादातर वही और साइकिल चलाने वाला मैं भी वही। लेकिन ऐसा लगा कि किसी नई जगह पर आ गया हूं।। जहां मुझे रोज ढलान मिलती थी वहां चढ़ाई आ गई। जहां चढ़ाई थी वहां साइकिल सरपट दौड़ने लगी। जहां गड्ढे थे वहां सड़क चिकनी थी और जहां सड़क ठीक ठाक थी वहां गड्ढे हो रहे थे। ये भी समझ में आया कि  बाई ओर से घूमने में सभी मोड़ आसान थे और अब हर बार मोड़ने के पहले दो तीन बार पीछे देखना पड