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Showing posts from February, 2023

आचार्य शुक्ल के निबंध

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 आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी के थे महारथी अनुपम लेखक उनकी रचनाएं अनुवादित संपादित और मौलिक  वह ग्राम अगौना चंद्रबली के पुत्ररत्न, आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी साहित्य के इतिहास आलोचक, निबंधकार, इतिहासकार एवं संपादक के रूप में जाने जाते हैं। रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य को बहु विद समृद्ध किया। हिंदी साहित्य का इतिहास आपके द्वारा रचित सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं प्रमाण इतिहास ग्रंथ माना जाता है, अपने हिंदी साहित्य के इतिहास के माध्यम से आपने हिंदी साहित्य का व्यवस्थित इतिहास प्रस्तुत किया इतिहास को इतिवृतात्मकता से ऊपर उठा कर आलोचनात्मक दृष्टि से इतिहास को प्रस्तुत किया। इतिहास लेखन के साथ-साथ आप की आलोचनात्मक कृतियां और आप के निबंध संग्रह हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है। आप की प्रमुख कृतियां हैं हिंदी साहित्य का इतिहास विश्व प्रपंच, चिंतामणि के दो भाग , भ्रमरगीत सार की भूमिका, जायसी ग्रंथावली की भूमिका और त्रिवेणी। इन कृतियों के माध्यम से आपने ना सिर्फ हिंदी साहित्य को संबोधित किया वरन साहित्य को एक दिशा भी दिया ।आपकी विचारात्मक निबंध हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है। भाव एवम मनोविकार संबं

भाषा व्यवहार

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  भाषा हमारे जीवन का मूल आधार है। भाषा का माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को एक दूसरे के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। भाषा को लेकर बहुत से आग्रह लोगों के मन में देखने को मिलते हैं, भारत एक बहुभाषी देश है । विविधता में एकता हमारे संस्कृति और सभ्यता प्राण तत्व है और यही वह सूत्र है जिसके द्वारा हम सदियों से अपनी परंपरा का निर्वहन करते हुए निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। वर्तमान समय में भाषा को लेकर लोगों के मन में बहुत ह भ्रांतियां हैं। भाषाई कुलीनता ने हमारे भाषिक और सामाजिक ताने-बाने को बहुत हद तक प्रभावित किया है। भाषिक कुलीनता कोई नई बात नहीं है, समाज में कुछ लोग अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए कुलीन भाषाओं का प्रयोग करते हैं, लेकिन यहां यह समझना आवश्यक होगा कि भाषा जब भी कुलीनता के दायरे में बंधी है तो तो वहां उसकी गति प्रभावित हुई है भाषा की प्रकृति ही प्रभावमान है। भाषा के बारे में कुछ बुनियादी बातें हैं,जो निम्नलिखित है-.              1. भाषा विचार विनिमय का साधन है। 2. भाषा अर्जित संपत्ति है हम समाज में रहकर भाषा सीखते हैं और व्यवहार करते हैं। 3. भाषा की प्रकृति निरंतर परिवर्तनशील ह

सोशल मीडिया और नागरिक पत्रकारिता

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 सोशल मीडिया और नागरिक पत्रकारिता ने समाज को एक नई दिशा की ओर ले जाने का कार्य किया है। आज सोशल मीडिया के माध्यम से कोई भी अपनी बात समाज के समक्ष रख सकने में सक्षम है ऐसे में हमारे समक्ष झूठ भी प्रस्तुत हो रहा है और सच भी यह हमारे विवेक पर निर्भर है कि हम सच की पड़ताल करें और उसे जाने और माने। वैसे भी सोशल मीडिया ने अफवाहों को नागरिक जीवन में घोल कर रख दिया है, और ऐसे समय में हमें और भी सजग होने की जरूरत है क्योंकि सच को जानना आज के समय में मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता जा रहा है। झूठ और फरेब का प्रसार तेजी से हो रहा है और कहीं ना कहीं लोग उसे सच मानते जा रहे हैं। मीडिया ने हमारी राजनीतिक व्यवस्था को व्यापक स्तर पर प्रभावित किया है।  आज के समय में अधिकांश चुनाव प्रचार सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे वर्ष भर चलते रहते हैं और वह लोग राजनीति में ज्यादा सफल होते जा रहे हैं जो सोशल मीडिया को बेहतर ढंग से प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे समय में तटस्थ और निरपेक्ष विचारों का वातायन खड़ा करना बहुत ही मुश्किल और कठिन हो गया है। राजनीति को नई दिशा देने में सोशल मीडिया का विशेष योगदान है इस वर्चुअल जगत में व