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चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है : नाम

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हिन्दी सिनेमा  चिट्ठी है वतन से चिट्ठी आयी है बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद -२ वतन की मिट्टी आई है, चिट्ठी आई है ... ऊपर मेरा नाम लिखा हैं, अंदर ये पैगाम लिखा हैं -२ ओ परदेस को जाने वाले, लौट के फिर ना आने वाले सात समुंदर पार गया तू, हमको ज़िंदा मार गया तू खून के रिश्ते तोड़ गया तू, आँख में आँसू छोड़ गया तू कम खाते हैं कम सोते हैं, बहुत ज़्यादा हम रोते हैं, चिट्ठी ... सूनी हो गईं शहर की गलियाँ, कांटे बन गईं बाग की कलियाँ -२ कहते हैं सावन के झूले, भूल गया तू हम नहीं भूले तेरे बिन जब आई दीवाली, दीप नहीं दिल जले हैं खाली तेरे बिन जब आई होली, पिचकारी से छूटी गोली पीपल सूना पनघट सूना घर शमशान का बना नमूना -२ फ़सल कटी आई बैसाखी, तेरा आना रह गया बाकी, चिट्ठी ... पहले जब तू ख़त लिखता था कागज़ में चेहरा दिखता था -२ बंद हुआ ये मेल भी अब तो, खतम हुआ ये खेल भी अब तो डोली में जब बैठी बहना, रस्ता देख रहे थे नैना -२ मैं तो बाप हूँ मेरा क्या है, तेरी माँ का हाल बुरा है तेरी बीवी करती है सेवा, सूरत से लगती हैं बेवा तूने पैसा बहुत कमाया, इस पैसे ने देश छुड़ाया पंछी पिंजरा तोड़ के आजा, देश पराया छोड़ के आ

गुरु नानक देव जी का दर्शन और भक्ति : डॉ. महिमा गुप्ता

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  गुरु नानक देव जी का दर्शन और भक्ति डॉ. महिमा गुप्ता आचार्य एमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एमिटी यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश भारत की 15 वीं सदी के मानवतावाद के महान समर्थक गुरु नानक देव ज़ी को अंतरधार्मिक सद्भाव का आदर्श माना जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए समर्पित किया । अपने जीवन के प्रारम्भ से ही गुरु नानक देव ज़ी ने जीवन का सही अर्थ और विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच अंतराल को किस प्रकार दूर किया जायें , इस विषय पर सोचना शुरू कर दिया था । उनकी शिक्षाएं सिख धर्म का वरदान हैं । उन्हें सिख धार्मिक परंपरा का पहला गुरु माना जाता है । गुरु नानक की शिक्षाओं को सांप्रदायिक संघर्षों को खत्म कर सार्वभौमिक शांति स्थापित करने का मॉडल कहा जा सकता है- एक ऐसा कार्य जिसे वह स्वयं अपने पूरे जीवन में पूरा करना चाहते थे । पंद्रहवीं शताब्दी के मध्य में जब भारत अमानवीय जाति व्यवस्था से पीड़ित था , जनता मानवीय अवगुणों से पीड़ित थे , जब विविध धर्मों के अनुयायियों के बीच पारस्परिक सम्मान न के बराबर रह गया था और जब पूरी सामाजिक-राजनीतिक व्यवस