आधुनिक परिप्रेक्ष्य में ‘चीफ की दावत’: एक अध्ययन -मधुबाला (भाषा अध्यापिका) रा0व0मा0 पाठशाला ,पंजाई, हि0प्र0
भीष्म साहनी नयी कहानी के सशक्त हस्ताक्षर हैं , जो नवीन - जीवन मूल्यों , नयी मान्यताओं को रेखांकित करने हुए मानवीय संबंधों का विश्लेषण करते हैं। भीष्म साहनी को हिन्दी सहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है। वे मानवीय मूल्यों के लिए हिमायती रहे और उन्होंने खोखली विचारधारा को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया। विचारधारा और साहित्य के रिश्ते को स्पष्ट करते हुए उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘ आज के अतीत ’ में लिखा है , “ विचारधारा यदि मानव मूल्यों से जुड़ती है , तो उसमें विश्वास रखने वाला लेखक अपनी स्वतंत्रता खो नहीं बैठता , विचारधारा उसके लिए सतत प्रेरणास्रोत होती है , उसे दृष्टि देती है , उसकी संवेदनाओं में ओजस्विता भरती है। साहित्य में विचारधारा की भूमिका गौण नहीं महत्वपूर्ण है। विचारधारा के वर्चस्व से इंकार का सवाल ही कहां है ? विचारधारा ने मुक्तिबोध की कविता को प्रखरता दी है , ब्रेख्त के नाटकों को अपार ओजस्विता दी है। यहां विचारधारा की