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लोक परम्परा की गहन संवेदना का आख्यानः रसप्रिया

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हिन्दी कथा साहित्य और हिन्दी समाज में अत्यंत घनिष्ठ संबंध देखने को मिलाता है। फणीश्वर नाथ रेणु हिन्दी साहित्य के एक ऐसे कथाकार हैं, जिन्होंने अपने कथा साहित्य के माध्यम से हिन्दी साहित्य जगत को लोक के राग-रंग से विधिवत परिचित कराया और लोक जीवन की विविध छटाओं को साहित्य के कैनवास पर जीवंत किया। इस दृष्टि से मैला आंचल आपकी और हिन्दी साहित्य की एक महनीय उपलब्धि है। रेणु ने हिन्दी कथा साहित्य को एक नये लोक से ना सिर्फ परिचित कराया वरन जीवन के समस्त राग-विराग-रंग और बदरंग को हमारे समक्ष रखा भी ।आपके उपन्यास मैला आँचल के अतिरिक्त आपकी कहानियों में भी लोक परम्परा की अपूर्व छटा देखने को मिलती है। रसप्रिया आपकी लोक रस ,आस और विश्वास से सराबोर कहानी है, जिसमें लोक परम्परा में लुप्त हो गीतों की गहन चिंता के साथ-साथ लोक विश्वास का अंकन अत्यंत जीवंत रूप में देखने को मिलता है । लोक परम्परा के प्रति गहरी चिंता का भाव रसप्रिया कहानी में  मिरदंगिया के माध्यम से  रेणु ने प्रस्तुत किया है। भाव और भाषा की दृष्टि से यह कहानी अपने आप में विशिष्ट है।  हिन्दी साहित्य के इतिहास पर दृष्टिपात करें तो यह देखने को

इक्कीसवीं सदी का लोक और भोजपुरी सिनेमा

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 साहित्य हमारी चित्तवृतियों का प्रतिबिम्बन करता है। हमारी चित्तवृतियों के भावों की अभिव्यक्ति में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है। अभिव्यक्ति के स्तर पर देखें तो श्रव्य और दृश्य  दोनों माध्यमों से साहित्य की अभिव्यक्ति होती है। दृश्य  माध्यम से सामाजिक मनोभावों एवं परिस्थितियों के अंकन की परम्परा अत्यन्त प्राचीन काल से अब तक चली आ रही है। वर्तमान काल में दृश्य/श्रव्य माध्यम साहित्य के सम्प्रेषण का सशक्त माध्यम है। नाटकों से आरम्भ होने वाली परम्परा आज के तकनीकी समय में विभिन्न स्तरों पर हमारी सामाजिक स्थितियों एवं परिस्थितियों को अभिव्यक्ति प्रदान कर रही है। इस परम्परा में भारतीय सिनेमा के माध्यम से व्यापक सामाजिक सरोकारों का अंकन देखने को मिलता है। भारतीय सिनेमा दुनिया भर में देखा और जाना जाता है। भारत में बोली जाने वाली बहुत सी भाषाओं में फिल्म निर्माण और फिल्मों के भाषान्तर की परम्परा चल रही है। इनमें सर्वाधिक फिल्में हिन्दी भाषा में निर्मित हो रही हैं। हिन्दी सिनेमा में भाषाई स्तर पर देखें तो अनेक प्रकार के प्रयोग हो रहे हैं। क्षेत्रीय आकांक्षाओं और यथार्थ की अभिव्यक्ति के कारण क्षेत्र