मनोहर श्याम जोशी कृत कसप की कथा भाषा
हिन्दी उपन्यासों की परम्परा में जिन उपन्यासकारों ने औपचारिक भाषा एवं शिल्प के स्तर पर व्यापक प्रयोग किये हंै, उनमें मनोहर श्याम जोशी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। मनोहर श्याम जोशी के उपन्यासों में विषय-वस्तु के साथ-साथ शिल्प एवं भाषा सभी स्तरों पर नवाचार देखने को मिलता है। जैनेन्द्र की संवेदना, अज्ञेय की प्रयोगधर्मिता और रेणु जैसी भाषा की आंचलिकता मनोहर श्याम जोशी के उपन्यासों की भाषा में एक नये तरह के कथावातायन का निर्माण करते है। मनोहर श्याम जोशी के उपन्यासों की भाषा में एक नये तरह का ठसक और देशीपन देखने को मिलता है। इनके प्रमुख उपन्यास है- कुरु-कुरु स्वाहा, कसप, हरिया-हरकुलिस की हैरानी और हमजाद। ‘कुरु-कुरु स्वाहा’ से मनोहर श्याम जोशी उपन्यास लेखन की ओर आए। यह एक प्रयोगशील उपन्यास है। अपने व्यापक प्रयोगशीलता के कारण यह उपन्यास बहुत चर्चित हुआ। अपनी प्रयोगशीलता के कारण रचनाकार उपन्यास के स्वीकृत और उपलब्ध ढाँचें को तोड़कर नये तरह के अंदाज में अपनी कथावस्तु को प्रस्तुत करता है। मनोहर श्याम जोशी अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों मिलाकर अपने कथा साहित्य को एक नये कलेवर में ढाल