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उदात्त सिद्धांत ( लोंगिनुस /लोंग्जाइनस )

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  पाश्चत्य काव्यशास्त्र में उदात्त सिद्धांत का विशेष महत्व है   ।   प्लेटो और अरस्तू से भिन्न और उसके समकालीन साहित्य शास्त्र में उदात्त सिद्धांत को स्थान दिया गया है   ।उदात्त का प्रतिपादन लोंगिनुस ने किया   । लोंगिनुस मूलतः भाषणशास्त्री था , उसके द्वारा रचित पेरिहुप्सुस का एक तिहाई ही प्राप्त हुआ   ।   जो अपने आप में विलक्षण ग्रन्थ है , यह साहित्य शास्त्र का सौभाग्य है कि यह ग्रन्थ अधूरे में ही सही मिला तो सही     । इसके माध्यम से लोंगिनुस ने उदात्त सिद्धांत को साहित्य जगत के सम्मुख रखा     । यह अपने आप में एक असाधारण लेख है , जिसमें एक प्रभावशाली रचना के गुणों का विवेचन किया गया है     । लांगजाइनस सिद्धांत का प्रतिपादक - लोंगिनुस/ लांगजाइनस उदात्त की महत्ता - उदात्त के प्रतिपादक तत्वों का समावेश कर किसी रचना को सर्वकालिक महान रचना बना सकते हैं, इसका महत्व सम्मोहन में है. लोंजाइनस ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन अपने विस्मयकारी ग्रन्थ पेरिहुप्सुस में किया.It is height of sublime. ( वाग्मिता का प्रकर्ष)  Also visit and subscribe my YouTube channel for content of hindi literature and langu