फणीश्वर नाथ रेणु कहानियाँ : लोक कला एवं संस्कृति का आख्यान(डॉ. अमरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव & डॉ. दीपशिखा श्रीवास्तव)
फणीश्वर नाथ रेणु एक ऐसे रचनाकार है , जिन्होंने अँचल के यथार्थ को समग्रता में अपने साहित्य में उकेर कर लोक कलाओं और लोक रंग , गंध को सहेजने का कार्य किया है। फनीश्वर नाथ रेणु का समग्र कथा साहित्य लोक रंग एवं लोक चेतना से भरा पड़ा है। ’भीत्ति चित्र की मयूरी’ रेणु की अंतिम कहानी है , जिसमें रेणु की लोक-सम्पृक्ति और लोक - चेतना के प्रति चिन्ता देखने को मिलती है। फणीश्वर नाथ रेणु युगबोध से परिचालित और प्रेरित ऐसे कथाकार थे , जिनकी दृष्टि भारतीय समाज के यथार्थपरक संश्लिष्ट बिम्बों पर केंद्रित थी। रेणु की लोक संप्रति और लोक चेतना यह चिन्ताकुलता भी सामने ला रही कि बदल रहे देश और समाज में जहाँ पूँजीवादी मानसिकता के कारण ऐसी परिस्थितियां निर्मित हो रही थी , जिसमें भारतीय लोक संस्कृति के वास्तविक सौन्दर्य को बचाये रखने का संकट उत्पन्न हो रहा था।“ रेणु को भारतीय लोक जीवन , एवं लोक संस्कृति एवं लोक भाषाओं से विशेष लगाव था। इसी लगाव और कला के प्रति अपनी संवेदनशीलता के कारण रेणु में लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए गहरी एवं गम्भीर चित्ता देखने को मिलती है। फणीश्वर नाथ रेणु ने अंचल के रुपरंग एवं गं