मीरा की भक्ति: दर्शन एवं समर्पण :डॉ. अंगदकुमार सिंह (असिस्टेण्ट प्रोफेसर: हिन्दी जवाहरलाल नेहरू पी.जी. कॉलेज, बाँसगाँव गोरखपुर ,उ.प्र. )
रतन सिंह की पुत्री मीरा, नृप भोजराज की पत्नी थी। जो अमर हुई विष पीकर, भक्तिन गिरिधर नटवर की थी। सम्पूर्ण भूमण्डल में भारत एक ऐसा विशिष्ट देश है जो सदियों से अपनी संस्कृति और सभ्यता के नाते जगत् विख्यात है। भारत में राम, कृष्ण, बुद्ध आदि ने जन्म लेकर जहाँ धर्म की स्थापना की वहीं तुलसी, सूर, मीरा आदि कवियों ने इनको अपने अन्तस् में समाहित कर दूसरों के लिए आदर्श रूप में प्रस्तुत किया। मोक्ष और शान्ति की राह को भक्त-कवियों ने सरल और सुगम बनाकर लोगों के सामने प्रस्तुत किया ताकि आमजन का उद्धार इसके माध्यम से आसानी से हो सके। इन भक्तों और कवियों ने भजन और स्तुति की रचना कर जनमानस को भगवान के करीब लाकर खड़ा कर दिया। ऐसे ही सन्तों और महात्माओं में एक नाम मीरा का भी आता है। मीरा रतनसिंह राठौर की पुत्री, दूदाजी की पौत्री, जोधपुर के सृजनकर्त्ता जोधाजी राव की प्रपौत्री, चित्तौड़ के राजघराने महाराणा सांगा की कुलबधू और महाराणा भोजराज की पत्नी तथा समाज द्वारा अन्त्यज सन्त रविदास की शिष्या थीं। मीरा राजस्थान के राजघराने में पली-बढ़ी और चित्तौड़ के राजपरिवार में ब्याही गयीं पर उनको ये माया क