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सामाजिक भाषा के विविध सन्दर्भों की अभिव्यक्ति : नाच्यौ बहुत गोपाल

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 हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में उपन्यास साहित्य को एक विशेष उपलब्धि के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है।  कथा सम्राट के रूप में प्रेमचंद ने जिस परंपरा का आरंभ किया उसे परवर्ती कथाकारों ने आगे ले जाने का कार्य किया। प्रेमचंद समाजवादी कथाकार के रूप में जाने जाते हैं, उनकी परंपरा में एक सशक्त हस्ताक्षर के रूप में अमृतलाल नागर का महत्व सर्वस्वीकृत है। अमृतलाल नागर ने प्रेमचंद की परंपरा को  आगे बढ़ाने का कार्य किया। अमृतलाल नागर हिन्दी के  ऐसे कथाकार हैं ,जिन्होंने अपने समाज का बहुत ही गहन अध्ययन और साक्षात्कार किया और उसे अपने कथा साहित्य के माध्यम से समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया। नागर जी द्वारा रचित नाच्यौ बहुत गोपाल उपन्यास अपने आप में विशिष्ट है। अपने शिल्प और विषय वस्तु के आधार पर इस उपन्यास को हिन्दी का विशिष्ट उपन्यास कहा जा सकता है।  नाच्यौ बहुत गोपाल में सामाजिक संदर्भों का व्यापक संस्पर्श देखने को मिलता है। नागर जी के लगभग सभी उपन्यासों में नये ढंग का भाषिक कलेवर देखने को मिलता है। नाच्यौ बहुत गोपाल में भी अवधी मिश्रित खड़ी बोली के साथ-साथ अन्य भारतीय एवं विदेशी भाषाओं के