सब प्रभावित थे: सारिका नारायण

तुम्हारे प्रभावशाली व्यक्तित्व से, 

सब प्रभावित थे,

और मैं, सिर्फ़ तुम्हारी बातों से, 

जो मुझे सदा ही मोहित करती रहती थी, 

कितने प्रसन्न थे सब, तुम्हें उच्च पदस्थ देखकर,

और मैं सिर्फ़ शायद, स्मृति में थी,

जो मुझे सदा ही तुमसे जोड़े रही, 

चारों ओर तुम्हारी सराहना करते लोग, 

और मैं, 

तुमसे लंबी दूरी पर थी,

फिर भी ,

मैं तुम्हें क़रीब महसूस करती रही।

शिद्दत से और 

तुम............ 



Comments

Popular posts from this blog

असाध्य वीणा कविता की काव्यगत विशेषता.

अज्ञेय की काव्यगत विशेषताएँ

तलाकनामा