भारतीय नव वर्ष 2079

  • भारत एक ऐसी सभ्यता और संस्कृति का संवाहक है, जिसका मूल आधार प्रकृति और कृषि आधारित जन-मन रहा है | विविधता में एकता हमारी मूल पहचान है, चैत्र मास से भरतीय नव वर्ष का आरम्भ होता है | 
  • इस नव्यता से प्रकृति जहाँ एक ओर उल्लास का संचरण होता है, वहीं दूसरी ओर फसलों की नयी खेप खेतों से पक कर हमारे घरों में आती है|
  • उत्तर भारत में वर्ष प्रतिपदा और नवरात्रि के रुप में मानाया जाता है, जिससे हमारे आस-पास सकारात्मक ऊर्जा का औरा तैयार होता है | 
  • इसी नवरात्रि के नवें दिन को रामनवमी के रुप में बडे़ ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, इस अवसर पर मन्दिर में राम जन्मोत्सव बडे़ धुमधाम से देश के सभी क्षेत्रों में मनाया जाता है|

  • गुड़ी पड़वा (मराठी-पाडवा) के दिन हिन्दू नव संवत्सरारम्भ माना जाता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है। इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। 'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है। कहते हैं शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं (शक) का पराभव किया। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। ‘युग‘ और ‘आदि‘ शब्दों की संधि से बना है ‘युगादि‘। 
  • आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि‘ और महाराष्ट्र में यह पर्व 'ग़ुड़ी पड़वा' के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है।

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