आगाज़ प्रेम का: प्रीति

 


एक लड़की अपने काॅलेज बैग का चेन खोलकर कुछ खोजती हुई आगे बढ़ रही थी। कुछ कुछ बड़बड़ाते हुए बिना इधर उधर देखे बस जल्दी जल्दी भाग रही थी।सब कुछ तो समझ ना आया बस इतनी समझ आई-हद है आठ बज गए हैं और इस शहर में कोई दुकान भी नही खुला।और मैं भी इतनी बेवकूफ हूॅं ना ब्लैक पेन लाई ना ही स्टेपलर। बड़बड़ाते हुए थे आगे बढ़ते हुए एक लड़के से टकरा गई।सौरी भैया बिना उसकी तरफ देखे ही बोल कर आगे बढ़ने लगी।लड़का बोला मेरे पास है स्टेपलर और ब्लैक पेन भी।लड़की तो खुश हो गई। बिल्कुल खिल गई किसी फूल की तरह।जल्दी जल्दी फाॅम भरकर,स्टेपल करके सारे डाॅक्युमेंटस जमा करने के लिए क्लर्क रूम की तरफ भागी।फाॅम जमा कर बाहर निकली,लड़का सामने ही खड़ा दिखा।लड़की मुस्कुराते हुए फिर से बोली-थैंक्स भैया आपने बड़ी मदद की।लड़का बड़ी तेजी से लड़की की हाथ से अपना पेन छीनते हुए बोला- भैया होगा तेरा बाॅयफ्रेंड।मेरा नाम निखिल है और तुम्हारा सिनियर हूॅं,समझी?और तेजी से जाने लगा,बड़ी आई भैया वाली।लड़की को हंसी आ गई।वो जोर से बोली - ऐ बंदर सुन मेरा कोई बाॅयफ्रेंड नही है।और मेरा भैया बनने लायक तेरी शकल भी नही है समझे?दोनो हलकी हंसी के साथ दो रास्तों पर चल दिए। शायद कोई नया रंगीन रास्ता खुलने वाला था।🥰❤️🌹(आगाज़ प्रेम का)

#बस यूं ही 




Comments

Popular posts from this blog

अज्ञेय की काव्यगत विशेषताएँ

सूर्यकान्त त्रिपाठी "निराला": काव्यगत विशेषताएं

असाध्य वीणा कविता की काव्यगत विशेषता.