मैं अब तक :सारिका साहू
मैं अब तक  उसके साथ की गई मुलाकातों में सोई हुई थी । महज़ एक मुलाकात में उसको जानने के ऊहापोह में खोई हुई थी।  क्या यह वही शख्स  था, जिसको  पाने की ज़िद की हुई थी । या महज़  दिल ने उस को ही हबीब मानने की ज़िद की हुई थी।। वो जाना है या अनजाना,ये कैसे पशोपेश में उलझ कर रह गई थी  कुछ जानकर कुछ अनजाने में ही धीरे धीरे सुलग कर रह गई थी। उसकी आंखों में मैंने,अपने लिए बेइंतहा मोहब्बत पाई थी।। दिल मेरा उफ़क में था, और मैं  तबाह-ओ-बर्बाद   हो गईं थी।