Posts

असाध्य वीणा के अभिव्यक्ति पक्ष पर प्रकाश डालिए .

Image
  अभिव्यक्ति पक्षः भाषा अज्ञेय ने मानवीय व्यक्तित्व की व्याख्या में भाषा को अनिवार्य तत्व माना है। भाषा उनके लिए माध्यम नहीं अनुभव भी है। अज्ञेय के अनुसार  सर्जनात्मकता की समस्या से सतत् जूझने वाले रचनाकार के लिए यह उचित है कि वह भाषिक सर्जन की क्षमता को गहरे ढंग से समझे। अज्ञेय की अधिकांश कविताओं मे भाषा और अनुभव के अद्वैत को व्याख्याथित करने का प्रयास देखने को मिलता है। असाध्य वीणा इसका अपवाद नहीं है। असाध्यवीणा की भाषा का वैशिष्ट्य देखते ही बनता है यहॉं बिम्बों का प्रयोग, लोक भाषा के शब्दों का प्रयोग, मौन की सार्थक अभिव्यक्ति और संस्कृत निष्ठ शब्दावली  से परिपूर्ण भाषा दृष्टिगत होती है। भाषा के संबन्धा में अज्ञेय ने स्वयं लिखा है- मै उन व्यक्तियों में से हूॅं और ऐसे व्यक्तियों की संख्या शायद दिन-प्रतिदिन  घटती जा रहीं है, जो भाषा का सम्मान करते हैं, और अच्छी भाषा को अपने आापमें एक सिद्धि मानते है। अज्ञेय के लिए अच्छी भाषा का अर्थ अलंकृत या चमकदार भाषा नहीं है, वरन् अच्छी भाषा की अच्छाई यही है  िकवह भाषा  और अनुभव के अद्धैत का स्थापित करे और ऐसी हमें अज्ञेय की लगभग सभी कविताओं में

1. असाध्यवीणा के कथ्य पर प्रकाश डालिए।

Image
 1. असाध्यवीणा के कथ्य पर प्रकाश डालिए। उत्तरः- असाध्यवीणा अज्ञेय द्वारा रचित पहली लम्बी कविता है। जो जापानी कथा पर आधारिता कथात्मक कविता है। असाधवीणा में अज्ञेय एक ऐसे विषय वस्तु को करते हैं जिसमें रहस्यवाद ओर अंह के विसर्जन संदेश देखने को मिलता है। कविता का आरम्भ में प्रियबंद केश कम्बकी राजा के दरबार में आते है। राजा इनका अपने यहां स्वागत करते हैं और उन्हें वीणा के बारे में बताते हैं। राजा कहते हैं कि यह वीणा उत्तराखण्ड  के गिरि प्रान्तर से बहुत समय पहले आयी थी। आगे राजा बताते हैं कि इसका पूरा इतिहास तो हमें पता है लेकिन इतना सुना है कि वज्रकीर्ति ने इसे गढ़ा था- किन्तु सुना है बज्रकीर्ति ने मत्रपूत जिस  अति प्राचीन किरीटी तरू से इसे गढ़ा था- आगे राजा प्राचीन किरीटी तरू को विशेषताओं को बताते हैं कि उसे कानों में हिम शिखर अपने रहस्य कहा करते थे हिमबर्षा से बचा लेते थे और उसके कोटर में भालू बसते थे ओर उसकी जड़ पाताल लोक तक जा पहुॅंची थी और उसके गन्ध और शीतलता से फन टीका का बासुकि नाग सोता था बज्रकीर्ति ने सारा जीवन इस वृक्ष से वीणा की निर्माण किया। और वीणा पूरी होते ही उसकी जीवन लीला

अनुच्छेद लेखन

  अनुच्छेद लेखन के महत्वपूर्ण बिन्दु - 1.अनुच्छेद लेखन के लिए हमें शब्दों का बेहतर संयोजन आना चाहिए. 2. भाषा और व्याकरण का व्यवहारिक बोध आवश्यक है. 3. अनुच्छेद लेखन के लिए बहुत से पाठों का अध्ययन आवश्यक है. 4. पढना ही लिखने की सफलता की कुंजी है.

प्राकृतवाद

Image
प्राकृतवाद प्राकृतवाद अंग्रेजी के नेचरलिज्म का हिन्दी रूपान्तर है। यह प्रकृतिवाद से भिन्न है जिसका अर्थ प्रकृति-सम्बन्धी काव्य और साहित्य से होता है। साहित्य और कला के अन्य अनेक आन्दोलनों के समान इस आन्दोलन का भी प्रारम्भ और विकास फ्रान्स में हुआ। यह एक प्रकार से यथार्थवादका समकक्ष आन्दोलन है। इसकी मान्यताओं के अनुसार आत्मा या अन्य कोई अलौकिक सत्ता नहीं है। जो कुछ हो रहा है वह सब प्रकृति के द्वारा ही संचालित है, पारलौकिक सत्ता या शक्ति के द्वारा नहीं प्राकृतवादी विचारधारा का आरम्भ सन् 1830 की फ्रान्सीसी क्रान्ति के बाद हुआ यथार्थवाद की अपेक्षा यह सामाजिक परिवेश को लेकर चला और इसके द्वारा पूँजीवादी वैभव विलास के वातावरण में मानव प्रकृति के अन्दर समाविष्ट विकृतियों का विश्लेषण भी किया गया। यथार्थवाद केवल उतना ही चित्रण करता है। जितना प्रत्यक्ष होता है। उसका दृष्टिकोण तटस्य रहता है और अपनी निजी भावनाओं का चित्रण कवि उसमें नहीं करता, परन्तु इसके विपरीत प्राकृतवादी कलाकारों की रचनाओं में उनका व्यक्तित्व भी उभरकर आता है। इसके साथ ही साथ साहित्यकार का जीवन के प्रति जो दृष्टिकोण होता है वह भी

Break- Up

Image
Break Up (I have switched off my feelings. You should also do so) अमन बाबू अब तक अपने आप एकांत के लिए साध चुके थे।रुचि के छोडने के बाद  उस भावदशा और मनोदशा में एक अर्से तक रहे । फिर धीरे-धीरे एकांत और मौन उनके चरित्र में रच गया था। अब वो जरूरी होने पर ही संवाद करते थे। संवेदना के नाम पर कुछ यादें ही थीं जो उनके समग्र बजूद को झकझोरने के पर्याप्त थीं। इसके अलावा सब कुछ पहले से ठीकठाक था। यादों और बातों का विचित्र संयोग है।ये दोनों ही आपके बजूद को स्याह कर देतीं हैं। आज अमन बाबू फिर से स्याह और व्यथित मन के साथ अपने बिखरे हुए और ना समेटे जा सकने वाले बजूद को फिर निहार रहे हैं।आखिर रुचि के जाने के उस बन्द भाव जगत को किसी के दस्तक पर खोले ही क्यूँ? सामने यादें बिखरी हुईं पडीं थी - लिपस्टिक लगी  डिस्पोजल गिलास  और ऐसी ही पलास्टिक की गिलास, आंसू से भिगे और फिलहाल सुखे टिस्सू पेपर और ना जाने कितनी चीजें। बिखरी चीजें तो सिमट जायेंगी मगर .........................। का जाने अब खलिहर अमन बाबू का क्या होगा ?बातें बकवास और पागलोंवाली करता है अब ये अमनवा। Feelings thi Relation nahi.

असाध्य वीणा कविता की काव्यगत विशेषता.

Image
 असाध्य वीणा कविता का मूल पाठ असाध्य वीणा कथ्य एवं नामकरण अभिव्यक्ति पक्षः भाषा असाध्य वीणा:कथ्य एवं नामकरण - अज्ञेय द्वारा रचित यह कविता आंगन के पार द्वार काव्य संग्रह में संकलित है असाध्य वीणा की रचना उतराखण्ड के गिरि प्रान्त में जून 1961 के दौरान हुईथी। यह अज्ञेय की पहली लम्बी कविता है, जो जापानी कथा पर आधारित है। इसके मूल में रहस्यवाद और अहं के विसर्जन का कथ्य निहित है।  नामकरण- प्रस्तुत कविता का शीर्षक असाथ्य वीणा है जो स्वयं में कविता को सम्पूर्ण विषयवस्तु का आभास करने में समर्थ  है। कविता के आरम्भ में जब प्रियबंद केशकम्बकी राजा के यहॉं आते हैं, तो राजा इनको आसर देते हैं और राज के संकेत से उनके गण बीणा को लाते हैं और राजा उस बीणा के संबंध में प्रियबंद को बताते है कि बज्रकीर्ति ने इसे किरीटी तरू से अपने पूरे जीवन इसे गढ़ा था। बीणा पूरी होते ही उनकी जीवन लीला समाप्त हो गई। आगे राजा स्पष्ट करते हैं कि इसीवीणा को बजाने में उनकी जाने माने कलाकार भी सफर हूए। इसीलिए इस बीणा को असाध्य बीणा कहा जाने लगा। मेरे हार गये सब जाने माने कलावन्त सबकी विद्या हो गयी अकारथ, दर्प चूर कोई ज्ञानी गुणी

वाक्य और उसके भेद

Image
  वाक्य- शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं । जब कोई शब्द कारक चिन्हों के आधार पर दूसरे शब्द से जुड़ता है , और एक निश्चित भाव प्रकट करता है तो उसे वाक्य कहते हैं । वाक्य के अंग }   उद्देश्य-  वाक्य की पूर्णता भाव-सम्प्रेषण पर निर्भर होती है। इसके लिए दो वैयाकरणिक तत्त्वों की उपस्थिति अनिवार्य है। उनमें से एक है उद्देश्य अथवा विषय। उद्देश्य का तात्पर्य है वह व्यक्ति, वस्तु या स्थान जिसके बारे में वाक्य में सूचना, तथ्य या विचार प्रस्तुत किया जा रहा है। व्याकरण शास्त्र में इस तत्व को विषय के नाम से जाना जाता है। विषय की उद्देश्य भी कहा जाता है जिसका अभिप्राय है कि वाक्य के इस अंग के अन्तर्गत वाक्य की रचना, कथन या लेखन के उद्देश्यभूत विषय का कथन किया जाता है। उद्देश्य के रूप में संज्ञा, सर्वनाम या क्रिया को रखा जा सकता है।  उदाहरण के लिए - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। व्यायाम से शरीर स्वस्थ तथा बलवान होता है। }   विधेय-  वाक्य का दूसरा अंग है-अभिधेय इस अंश के अन्तर्गत विषय के बारे में तथ्य सूचना या विचार प्रस्तुत किया जाता है। दूसरे शब्दों में उद्देश्य के विष