भाषा व्यवहार

  भाषा हमारे जीवन का मूल आधार है। भाषा का माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को एक दूसरे के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। भाषा को लेकर बहुत से आग्रह लोगों के मन में देखने को मिलते हैं, भारत एक बहुभाषी देश है । विविधता में एकता हमारे संस्कृति और सभ्यता प्राण तत्व है और यही वह सूत्र है जिसके द्वारा हम सदियों से अपनी परंपरा का निर्वहन करते हुए निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। वर्तमान समय में भाषा को लेकर लोगों के मन में बहुत ह भ्रांतियां हैं। भाषाई कुलीनता ने हमारे भाषिक और सामाजिक ताने-बाने को बहुत हद तक प्रभावित किया है। भाषिक कुलीनता कोई नई बात नहीं है, समाज में कुछ लोग अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए कुलीन भाषाओं का प्रयोग करते हैं, लेकिन यहां यह समझना आवश्यक होगा कि भाषा जब भी कुलीनता के दायरे में बंधी है तो तो वहां उसकी गति प्रभावित हुई है भाषा की प्रकृति ही प्रभावमान है।


भाषा के बारे में कुछ बुनियादी बातें हैं,जो निम्नलिखित है-.             

1. भाषा विचार विनिमय का साधन है।

2. भाषा अर्जित संपत्ति है हम समाज में रहकर भाषा सीखते हैं और व्यवहार करते हैं।

3. भाषा की प्रकृति निरंतर परिवर्तनशील है वही भाषा अपना अस्तित्व बचाए रख पाती है जिसमें परिवर्तन और ग्रहण की उदारता होती है।

4. भाषा समाज व्यवहार के द्वारा सीखी जाती है और वही भाषा ज्यादा समय तक समाज का मार्गदर्शन कर पाती है जो भाषा लोक में बोली जाती है।

5. कुलीनता भाषा को एक संकुचित दायरे में बांधती है, जिससे भाषा का प्रवाह प्रभावित होता है और भाषा धीरे-धीरे अप्रासंगिक होने लगती है।

6. प्रत्येक भाषा के अपने सामाजिक संदर्भ होते हैं सामाजिक संदर्भों से परे भाषा का अस्तित्व नहीं होता है इस बात को हमें समझना चाहिए और उसी के अनुसार भाषा व्यवहार करना चाहिए।

7. भाषा व्यवहार आज के समय की महत्वपूर्ण जरूरत है अगर हम भाषा व्यवहार के संदर्भ में सम्यक ज्ञान नहीं रखेंगे तो शायद ही हम प्रभावी ढंग से अपनी बात को रख पाएंगे। भाषा हमारे व्यक्तित्व का आधार होती है ऐसे में कब हमें कैसी भाषा का प्रयोग कर रहा है यह ध्यान विशेष रखना चाहिए।

8. भाषाई कुलीनता से बाहर आकर ही हम लोक के धरातल पर स्थापित हो सकते हैं।

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