कहानी कला

     कहानी लेखन और कहानी का वाचन दोनों महत्वपूर्ण है . हम समाज में रहते हुए विविध मनःस्थितियों से गुजरते हैं , इन सबका प्रभाव हमारे मन के साथ साथ हमारे जीवन पर भी पड़ता है . अपनी विविध मनोदशाओं को कुछ लोग शब्दों में पिरो कर कविता ,कहानी , उपन्यास और अन्य विधाओं के माध्यम से लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं , कुछ लोग इस कला में बहुत ही कुशल होते हैं तो कुछ लोग उन्हीं भावों को अभिव्यक्त कर सकने में सक्षम नहीं होते . 

    आइये हम जानते हैं कि वो कौन से तत्व हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए हमें लेखन कि दिशा में आगे बढ़ सकते हैं -


1- अपने आस-पास के समाज को हमें बहुत ही ध्यान से देखने और जानने की कोशिश करनी चाहिए . 

2- प्रसिद्ध कहानियों का अध्यनन एवं उसके रचनाकार के जीवन के बारे में हमें जानना चाहिए .

3- रचनाकारों का संस्मरण और उनकी जीवनी का गहनता से अध्ययन करना चाहिए . 

4- भाषा के प्रति उदार दृष्टि रखते हुए ज्यादे से ज्यादे  भाषा का ज्ञान रखना चाहिए .

5- सहज भाषा और भाव हमरे मन में हमेशा होने चाहिए और लोगों से मिलकर उनकी जीवन परिस्थितयों को जानने की चेष्टा करनी चाहिए .

6- रचना प्रक्रिया का विवेचन एवं विश्लेषण करना चाहिए . 

    हम जब तक अपने समाज और परिवेश के प्रति संवेदनशील नहीं होंगी तब तक हम जीवन्त कहानी लेखन की ओर नहीं अग्रसर हो सकेंगे . हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार अमृतलाल नागर ने अपने उपन्यास नाच्यो बहुत गोपाल की रचना करते हुए भंगी जाति के इतिहास का तो अध्ययन किया ही उस समाज के बीच जाकर उनके उन्मुक्त वाद-संवाद को भी सुना जिससे उनकी रचना बहुत ही प्रभावी बन गयी . इस बात का खुलासा उन्होंने उस उपन्यास की भूमिका में किया है .  

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