"हिंदी बनी विश्वस्तरीय भाषा" डॉ वसुन्धरा उपाध्याय

नई सदी की नई हिंदी,विकास के नए आयाम लेकर आई है।आज हिंदी की वह स्थिति नही जो आज से एक सदी पहले थी।पिछली सदी हिंदी के संघर्ष की सदी थी पर आज नहीं।आज हिंदी संवैधानिक से ही महत्वपूर्ण नही है अपितु सामाजिक और व्यावसायिक दृष्टि से भी इसकी आवश्यकता है। भाषा का स्वरूप ऐतिहासिक होता है सनातन नहीं। क्योंकि भाषा तो समय की गति के साथ परिवर्तनशील होने वाली है वह तो समय के साथ विकसित होती है।अगर समय का असर न होता तो हमारे भारत वर्ष में एक ही भाषा होती और वह होती देववाणी सँस्कृत भाषा। संस्कृत आज भी हमारी आधार है। भाषा हमारी भावनाओं की वाहिका है। कोई भी किसी भी क्षेत्र का हो पर भाषा हंमे एकता के सूत्र में बांधने वाली एक मात्र कड़ी है। हिंदी भाषा मे वह सभी गुण हैं जो एक राष्ट्रभाषा में होने चाहिए।अनेकानेक प्रयासों के बाद इसे राजभाषा का दर्जा मिला है। हिंदी में न जाने कितनी बोलियां हैं जो केवल हिंदी के नाम से जानी जाती हैं। भाषा कब विषय मे कहा है कि- विषय विषय को पानी बदले। कोष कोष की वाणी।। आज गूगल ने भी इसकी ताकत को समझ लिया है तभी उसने हिंदी को एक सशक्त भाषा के रूप...