युद्ध विकल्प नहीं : डा. तरु मिश्रा

 अत्यंत प्राचीन काल से मानवता और जीवन में शांति को लेकर युद्ध की आवश्यकता पर विमर्श चलता रहा है। युद्ध के परिणामों को देखें तो युद्ध किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किए जा सकते फिर भी धर्म की स्थापना के लिए युद्ध को अनिवार्य माना गया है। एक ममत्व से भरा मन कभी भी युद्ध को स्वीकार नहीं करता। इसी तरह ममत्व से भरे एक ह्रदय का भाव प्रस्तुत है कविता के रुप में -

*युद्ध विकल्प नहीं*


युद्ध विकल्प नहीं, ये हार है मानवता की।

हार है ये आदर्शों की, सु-विचारों की।।


छीन लेता है ये,

बच्चों का बचपन, 

सुहागिनों का सुहाग,

बूढ़े माता-पिता का श्रवण कुमार।

छीन लेता है ये, युवाओं का आत्मविश्वास ।

छीन लेता है ये, देश का भविष्य।।


युद्ध अंत है, आरंभ नहीं।

युद्ध हार है, जीत नहीं।

युद्ध विकल्प नहीं किसी समस्या का,

युद्ध श्रापित है, युद्ध वर्जित है ।

युद्ध है केवल अंधकार।

युद्ध विकल्प नहीं, ये है हार मानवता की॥

- डा. तरु मिश्रा




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