Posts

Showing posts with the label वस्तुनिष्ठ हिन्दी

छायावाद(1918-1936) :डा. वीना सिंह

Image
 किसने छायावाद चलाया, किसकी है यह माया  हिन्दी में यह शब्द अनोखा, कहो कहाँ से आया.(मुकुट धर पाण्डेय ने लेख लिखा छायावाद शीर्षक से और यहीं से छायावाद नाम चल पड़ा)  छायावाद स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह है. प्रमुख छायावादी कवि -   1.जय शंकर प्रसाद ( झरना ,आंसू , कामायनी ) 2. सुमित्रानंदन पंत (वीणा , ग्रंथि , उच्छवास ,पल्लव ) 3. महादेवी वर्मा 4. सूर्य कांत त्रिपाठी निराला  (अनामिका ,परिमल ) ,  छायावाद के उदव के कारण और श्रोत छायावाद के उद्भव के अनेक कारण से जिनमें हमारी सामाजिक साहित्यिक राजनीतिक परिस्थितियों के अलावा रविंद्र नाथ की बंगला कविताओं तथा वर्ड्सवर्थ शैली तथा की टच की अंग्रेजी कविताओं का स्थान महत्वपूर्ण है वेदांत दर्शन तथा बौद्ध दर्शन का भी इसका भी प्रभाव पड़ा है यही कारण है कि छायावाद के अभ्युदय और प्रेरणा स्रोत को लेकर विद्वानों में मतभेद है आचार्य शुक्ल इस पर इस पर पाश्चात्य प्रतीक बाद का प्रभाव देखते हैं तथा इसके उद्भव का कारण द्विवेदी युगीन कविता के प्रति विद्रोह भाव मानते हैं आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी इस काव्य धारा पर अंग्रेजी साहित्य का पूरा प्रभाव मानते हैं जिसम

हिन्दी आलोचना का इतिहास (History of HIndi Criticism )

Image
  हिन्दी के प्रमुख आलोचक - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, पद्म सिंह शर्मा, महावीर प्रसाद द्विवेदी, राम चन्द्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, नागेन्द्र, नन्द दुलारे बाजपेयी, अज्ञेय भारतेन्दु युगीन हिन्दी आलोचना- वर्णनात्मक आलोचना  तुलनात्मक आलोचना व्याख्यात्मक आलोचना  द्विवेदी युगीन  हिन्दी आलोचना- तुलनात्मक आलोचना  विवेचन परक आलोचना व्याख्यात्मक आलोचना शुक्ल युगीन हिन्दी आलोचना-  विश्लेषण परक आलोचना विवेचन परक आलोचना  इस युग में आलोचना का प्रौढ और व्यवस्थित रुप देखने को मिलता है, आचार्य रामचन्द्र ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखकर हिन्दी आलोचना को नयी दिशा प्रदान की|इसके साथ ही हिन्दी आलोचना में  नई परम्परा चल पडी . इनके प्रमुख आलोचनात्मक ग्रंथ हैं - त्रिवेणी, हिन्दी साहित्य का इतिहास, भ्रमरगीत सार की भूमिका, विश्व प्रपंच, चिन्तामणि में संकलित आलोचनात्मक निबंध.