‘उसने कहा था’ कहानी और चन्द्रधर शर्मा,'गुलेरी’
चन्द्रधर शर्मा , ‘ गुलेरी ’ जी की कहानी ‘ उसने कहा था ’ हिन्दी कथा साहित्य में एक अहम् भूमिका निभाती है जिसमें प्रेम का स्वस्थ और स्वच्छ स्वरूप देखने को मिलता है साथ ही प्रेम और संवेदना के नये मानक भी निर्मित होते हैं ।डॉ . रामस्वरूप चतुर्वेदी इस सम्बन्ध में लिखते हैं - आरम्भ के बाद कुछेक बरसो में ही हिन्दी कहानी पूरी तरह परिपक्व दिखने लगती है | इसका महत्वपूर्ण साक्ष्य चन्द्रधर शर्मा , गुलेरी , उसने कहा था , है , जो 1915 में ‘ सरस्वती ’ में प्रकाशित हुई | केवल एक कहानी के आधार पर सम्पूर्ण साहित्यिक ख्याति इस प्रसंग में ही देखी जा सकती है , जिसका समानांतर उदाहरण अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा |" ‘ उसने कहा था ’ कहानी के सम्बन्ध में डॉ . राम स्वरूप चतुर्वेदी जी का उक्त कथन यह प्रमाणित करता है कि गुलेरी जी ने अपनी इस कहानी के माध्यम से कहानी कला के मानक को उच्च स्तर तक पहुंचा देता है जहॉ प्रेम का उदात्त स्वरूप देखने को मिलता है | यह कहानी प्रेम